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एसईसीएल बुड़बुड़ खदान से लगे ग्राम में राजस्व एवं वन की बेशकीमती भूमि पर बेधड़क हो रहा अवैध कब्जा, विभागीय अमला नही दे रहे ध्यान,लॉकडाउन के समय भी अतिक्रमणकारियों ने जबरन जमीन कब्जाने किया था प्रयास, प्रशासन ध्यान दें वरना अवैध कब्जाधारियों के हिस्से में चली जाएगी करोड़ो की जमीन

कोरबा/पाली(कोरबा वाणी)-सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुडबुड में संचालित खदान के समीप बुड़बुड़ पंचायत के आश्रित मोहल्ला छिंदपारा से लगे हुए शासकीय भूमि 624/1/5 पर अवैध कब्जाधारियों के द्वारा लगभग 25 से 30 एकड़ बेशकीमती राजस्व एवं वन की भूमि का बेधड़क अतिक्रमण कर मकान निर्माण किया जा रहा है। इस भूमि पर पूर्व में भी अतिक्रमण करने का प्रयास किया गया था, किंतु तत्कालीन राजस्व अधिकारियों की सक्रियता से अवैध कब्जा तोड़ा गया था। लेकिन वर्तमान में संबंधित अमला के अनदेखी रवैये से अतिक्रमणकारियों के हौसले एक बार फिर बुलंद हो गए है।

ज्ञात हो कि एसईसीएल की सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ में ओपन कास्ट कोयला खदान संचालित हो रहा है। जहां खदान खोलने की प्रक्रिया के साथ प्रभावित ग्राम बुड़बुड़ के भू स्वामियों/किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई, जिसके एवज में उन्हें मुआवजा, नौकरी व बसाहट दी गई। किंतु अनेक प्रभावित ग्रामीण बुड़बुड़ व छिंदपारा के मध्य राजस्व एवं वन भूमि पर कब्जा करने की नीयत से कच्चे मकान निर्माण व बाड़ी घेराव को त्रीवता से अंजाम दे रहे है। कब्जाधारियों द्वारा इससे पहले भी एक- दो बार इस जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा चुका है। लेकिन पूर्व में रहे तत्कालीन राजस्व अधिकारी (तहसीलदार) विश्वास राव मस्के एवं उनकी टीम द्वारा अवैध कब्जा पर संज्ञान लेते हुए और मौके पर पहुँच अवैध कब्जा हटाया गया था तथा अतिक्रमणकारी ग्रामीणों को शासकीय भूमि पर कब्जा नही करने सख्त हिदायत देते हुए बेजा कब्जा की पुनरावृत्ति दोहराने पर कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की हिदायत दी गई थी, और तब अधिकारियों की सक्रियता से उक्त भूमि सुरक्षित थी, लेकिन वर्तमान पदस्थ स्थानीय राजस्व अधिकारियों की अनदेखी से अवैध कब्जाधारियों के हौसलों को एक बार फिर उड़ान मिल गया है, और उनकी निगाह करोड़ो के शासकीय भूमि पर फिर जाकर टिक गई है तथा एक बार पुनः वे करोड़ो के राजस्व एवं वन की भूमि पर कब्जा करने की नियत से होड़ मचा रखे है। अतिक्रमणकारी ग्रामीण जिस जमीन को हथियाने में लगे है, भविष्य में उक्त भूमि का उपयोग शासकीय भवनों के अलावा अन्य शासकीय कार्यों के लिए किया जा सकता है। अगर स्थानीय प्रशासन का रवैया ऐसे ही निष्क्रिय बना रहा तो इस 25 से 30 एकड़ शासकीय जमीन को अवैध कब्जे में जाते देर नही लगेगी, और तब संबंधित अधिकारियों के हाथ- पांव मारने से ज्यादा कुछ फायदा नही होगा तथा करोड़ो की बेशकीमती जमीन अवैध कब्जे की भेंट चढ़ जाएगी। छिंदपारा से लगे बेशकीमती जमीन से अतिक्रमण हटाने संबंधित विभाग को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। नही तो शासकीय भूमि के एक बड़े हिस्से का रकबा घटने से कतई इंकार नही किया जा सकता।