कोरबा न्यूज़

देश की विकास के नाम पर केवल किसानों की बर्बादी बर्दाश्त नही की जाएगी – कुलदीप,भूविस्थापित किसान सम्मेलन में सैकड़ो ग्रामीणों ने दिखाई एकजुटता और अपनी व्यथा सुनाई

पाली/ कोरबा(कोरबा वाणी)-एसईसीएल कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सराईपाली परियोजना में अर्जित ग्राम बुड़बुड़ के ऐतिहासिक स्थल माता रानी चौरा में ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण की सराईपाली परियोजना इकाई स्तरीय भुविस्थापित किसान पंचायत का आयोजन किया । जिसमे सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण उपस्थित हुए और कोयला खदान के कारण अपनी जल ,जंगल, जमीन खोने वाले परिवारों की समस्याओं को लेकर संगठन के साथ शामिल होकर आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया है । सम्मेलन में ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि समस्याओ का निराकरण करने के बजाय एसईसीएल प्रबन्धन एवं राजस्व विभाग एक दूसरे को जिम्मेदार बताकर मटोल करते हैं जिसके कारण पाली क्षेत्र में सरईपाली ,करतली , अम्बिका परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवार अपनी रोजगार ,बसाहट और मुआवजा के लिए भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं |

भुविस्थापित किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए ऊर्जाधानी संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कोरबा सहित छत्तीसगढ़ में आद्योगिकीकरण एवं कोयला खदानों के कारण उत्पन्न समस्याओ को विस्तार के साथ रखा उन्होंने जमीन के नीचे सदियों से खनिज संपदा को बचाकर रखने वाले आदिवासी एवं पिछड़ो को उनकी अधिकार नही मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए कोल इंडिया प्रबन्धन, केंद्र व राज्य सरकार , जिला प्रशासन को जमकर लताड़ लगाया और पूंजीपतियों के इशारे पर कार्य करने का आरोप लगाया तथा स्थानीय प्रबन्धन से क्षेत्रीय समस्याओ को गंभीरता से निराकरण करने की मांग की ।

ग्राम इकाई के अध्यक्ष एवं पूर्व सरपंच तिरिथ राम केशव ने बताया कि उनके ग्राम की समस्त भूमि सहित राहाडीह की जमीन अर्जन के लिए वर्ष 2005 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था एवं 2007 में अवार्ड पारित किया गया था तथा छ.ग. पुनर्वास नीति के तहत मात्र 1लाख 28 हजार प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया और हर खातेदार को रोजगार दिया जाना था किन्तु कालांतर में कोल इंडिया पालिसी अपनाते हुए रोजगार के रास्ते को बंद कर दिया गया । और बढ़े दर पर मुआवजा नही दिया बसाहट देने में भी आनाकानी किया जा रहा है ।

संगठन के पदाधिकारी विजय पाल सिंह ठाकुर, रुद्र दास महंत ,गजेंद्र सिंह तंवर ,बसन्त कुमार कंवर , जयपाल खुसरो, गोपाल बिंझवार , दशरथ बिंझवार ललित महिलांगे आदि ने अपने अपने क्षेत्रों में व्याप्त समस्याओ और उसे लेकर चलाये जा रहे संघर्ष की जानकारी दी और संगठन की आवश्यकता बतायी ।

ग्रामवासियो ने अपने रोजगार बसाहट मुआवजा सहित भारी ब्लास्टिंग के धमाको और प्रदुषण की समस्याओ से अवगत कराते हुए पाली से 3 किमी के अन्दर नजदीक में आधुनिकतम कालोनी विकसित कर पुनर्वास , अथवा बसाहट के बदले दी जाने वाली राशि 20 लाख रूपये ,सभी परिवार के सदस्यों ( छोटे खातेदारों सहित ) को रोजगार , रोजगार के लिए लटकाकर रखे गए मामलो का त्वरित निराकरण, रोजगार के लिए देरी के एवज में कम से कम एक कटेगरी का पेमेंट सभी भूविस्थापित -प्रभावित बेरोजगारों एवं महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार , पूर्व में फंक्शनल डायरेक्टर्स में लिए गए निर्णय के अनुसार भूविस्थापित परिवारों को ठेका कार्य में 20 प्रतिशत आरक्षण एवं जिले के दुसरे क्षेत्र में लागू 5 लाख तक टेंडर योजना आदि मांगो पर आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया ।

सम्मेलन के अंत मे सराईपाली परियोजना इकाई का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष चंदन सिंह बंजारा उपाध्यक्ष आशु लाल सोनवानी ,उर्मिला बाई नायक, सचिव मनहरण लाल करपी, सह सचिव शत्रुघ्न लाल कर्पि , कोषाध्यक्ष नरेंद्र ठाकुर संरक्षक तिरिथ राम केशव ,संयोजक श्रीकांत सोनकर सदस्य रामचरण यादव ,अशोक कुमार, नायक ,संजीव श्रीवास्तव, जनक निषाद ,अमर लाल नायक, अनुज पालके ,रानी बाई ,राम कुमारी, सरस्वती ,जान देवी , दशोदा बाई , दीपक भाई ,राजकुमार यादव ,राधेश्याम नायक ,विजय, हरिशचंद ,शैलेश यादव ,भरत लाल चुने गए।

बस्ती से 20 मीटर दूर उत्खनन – जानमाल का खतरा

ग्रामवासियो के साथ ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने बस्ती के नजदीक चल रहे कोयला खदान का निरीक्षण किया । जहां पर एसईसीएल प्रबन्धन की घोर लापरवाही दिखी । सराईपाली खुली खदान वर्तमान में बस्ती से मात्र 20 मीटर दूरी पर पहुंचकर खनन कार्य कर रही है , खदान सीमा पर छोटे छोटे बच्चे खेलते हुए मिले जबकि बड़े धमाकों किये जा रहे हैं जिससे जानमाल का खतरा है ।