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प्रदेश अध्यक्ष की कार्यशैली से त्रस्त होकर प्रदेश महासचिव ने दिया इस्तीफा

रायपुर(कोरबा वाणी)-प्रदेश का सबसे तेजी से प्रगति करने वाला पत्रकारों का यूनियन छग जर्नलिस्ट वेल्फेयर युनियन मे विवादों को लेकर पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।यह विवाद किसी सदस्य या किसी ब्लाक के अध्यक्ष पद को लेकर नहीं बल्कि प्रदेश अध्यक्ष अमित गौतम और प्रदेश महासचिव सेवक दास दीवान के बीच है.

प्रदेश महासचिव सेवक दास ने अपने वैवाहिक वर्षगाँठ पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से आहत होकर यह निर्णय लिया है और संगठन से इस्तीफ़ा दे दिया है. इस इस्तीफे के बाद से संगठन के सदस्य दो गुट में बंट चुके हैं, कई पत्रकार सेवकदास दीवान के समर्थन में हैं तो कई पत्रकारों को इनके इस्तीफे के बाद एक मौका मिल गया है. साथ ही कई संगठन के कई पत्रकारों ने अब भी इस पर चुप्पी साधी है.
बता दें कि युनियन की स्थापना 09 दिसम्बर 2018 को राजनांदगाँव से शुरूआत हुई थी।सेवक दास दीवान युनियन के संस्थापक प्रदेश महासचिव थे।तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के पश्चात दिनांक 09 दिसम्बर 2021 को दूसरे कार्यकाल के लिये रायपुर मे निर्वाचन हुआ जिसमे सर्वसम्मति से सेवक दास दीवान पुनः प्रदेश महासचिव निर्वाचित हुये थे।
लगभग 4 वर्ष तक एक ही संगठन में महासचिव के पद पर रहने के बाद आहत होकर सेवकदास दीवान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
आगे उन्होंने कहा है कि पत्रकारों के हितों को लेकर जिन उद्देश्यों से संगठन की स्थापना की गई थी संगठन उन उद्देश्यों उससे भटक चुका है।

उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश महासचिव जरूर रहा लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ने ही सारा कागजात अपने पास रखा. आज भी मेरे पास कुछ भी नहीं है. यहां तक लेटर हेड सील सभी प्रदेश अध्यक्ष के पास है. उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में कोई हिसाब किताब नहीं हुआ. डायरेक्ट्री बनाने के लिए राशि पूरे प्रदेश से विज्ञापन के रूप में लिया गया. लेकिन आज तक डायरेक्ट्री नही बन पाया. सदस्यता फार्म का आज तक कोई ब्यौरा नही दिया गया।

सेवकदास दीवान ने बताया कि किसी संगठन को चलाने के लिए पारदर्शिता का होना आवश्यक है, लेकिन युनियन में पारदर्शिता नहीं बरती गई. इसके बावजूद भी तीन वर्ष तक हमने कुछ नहीं कहा कि आगे युनियन मे सुधार आ जाये और पत्रकारों का भला हो सके। जहाँ प्रदेश महासचिव का मान सम्मान नहीं रहा तो आप समझिये कि अब क्या हो सकता है ?

उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि युनियन लोकतंत्र की परिभाषा को खत्मकर राजतंत्र के हिसाब से चल रहा है. वह युनियन के हित मे नही है।

उन्होंने कहा कि मेरे वैवाहिक वर्षगाँठ पर बिलाईगढ से पत्रकार साथी बधाई देने आये थे, जिन्हें युनियन से बाहर कर दिया गया. क्या यही युनियन की नीति है. प्रदीप देवांगन पत्रकार साथी बिलाईगढ जिनकी माता जी घर के सामने आरती उतारकर घर मे ससम्मान प्रवेश कराती है और सुंदर भोजन कराती है उसी के सुपुत्र पत्रकार साथी का पैसा वापस कर युनियन से बाहर कर दिया जाता है, क्या यही संगठन है ?

उन्होंने कहा कि मेरे वैवाहिक वर्षगाँठ पर पत्रकार साथी आकर बधाई व शुभकामनाएँ देते हैं तो इससे तकलीफ होती है क्या यही संगठन है ? आप सभी बुद्धिजीवी हैं. आपका विवेक जो कहता है वही करिये. लेकिन इतना ध्यान रखिये. एकाधिकार से युनियन को चलाना कतई उचित नहीं है. प्रदेश महासचिव होने के बावजूद मेरे पास न रजिस्टर सील लेटर हेड कुछ भी नहीं है।

संगठन मे तीन सालों तक अपना बहुमुल्य समय के साथ साथ पैसा लगाया. पूरे प्रदेश का दौरा किया लेकिन उसके बदले अपमान मिला। प्रदेश के विभिन्न संगठनों को छोड़कर छग जर्नलिस्ट वेल्फेयर युनियन का निर्माण किया गया था लेकिन पत्रकारों के हित संवर्धन व सुरक्षा के क्षेत्र मे संतोषजनक कोई कार्य नहीं हो पाया। सेवक दास दीवान के इस्तीफा देने के पश्चात अमर सदाना रायपुर प्रदेश संयुक्त सचिव ,वरिष्ठ पत्रकार सुनील यादव प्रदेश संगठन सचिव गरियाबंद ने भी अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।आखिर ऐसा क्या कारण है जो प्रदेश महासचिव के साथ साथ अन्य दो प्रदेश पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया।तीन मजबूत कलमकारों का इस्तीफा जर्नलिस्ट वेल्फेयर युनियन के लिये सवालिया निशान खड़ा करता है।