13 दिसम्बर 2023,70 वें जन्म दिवस पर विशेष ,आंधियों के बीच जलता हुआ दिया:डॉ. चरणदास महंत
कोरबा ( कोरबा वाणी)- आज से दस दिन पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा के पांचवें निर्वाचन के बहाने लोकतंत्र की कठिन परीक्षा के परिणाम घोषित हुए। मेरिट में आने का दंभ भरनेवाले अनेक परीक्षार्थी इस परिवर्तन की आंधी में निपट गए, लेकिन अविचल और शालीन रूप से परीक्षा देनेवाले जिस हस्ताक्षर ने अपनी शानदार सफलता अर्जित की , उसे ही डा.चरणदास महंत कहते हैं। गोकि पराजय की गर्त में ढकेलने में विघ्न संतोषियों और भितरघातियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जो योद्धा जमीन से जुड़ा हुआ होता है , उसके पांव उखाड़ने की कोशिश सहसा सफल नहीं होती ।
उल्लेखनीय है ,छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डा.चरणदास महंत 35 – सक्ती विधानसभा क्षेत्र से 12395 मतों के अंतर विजयी हुए। वैसे इनकी जीवन यात्रा संघर्षों का पर्याय है। लेकिन डा.महंत हैं कि इनके सामने कैसी भी विपरीत और विकट परिस्थितियां आयीं , इन्होंने उनके आगे अपने घुटने नहीं टेंके ।
23 जुलाई 1978 को जब इनके पिता अजातशत्रु जन नायक बिसाहूदास महंत का हृदयाघात से असामायिक निधन हुआ ,तब इनकी उम्र महज 23 वर्ष वर्ष की थी । चूंकि स्मृतिशेष बिसाहूदास महंत गुलज़ारीलाल नंदा और लाल बहादुर शास्त्री की परंपरा के नेता थे , अतएव केवल 65 रूपये की नकद पूंजी परिवार के पास बची थी । इस दशा में पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आन पड़ी । ऐसी परिस्थिति में परिवार के उदर पोषण के लिए इन्होंने ठेकेदारी की शुरुआत की , लेकिन इनके जैसे सरल -सहज व्यक्ति के लिए ठेकेदारी अनुकूल साबित नहीं हुई। सन् 1979 में ये नायब तहसीलदार के रूप में चयनित हुए। कोई
छ:माह ही नौकरी के बीते थे कि इन्हें अर्जुनसिंह की कृपा से चाम्पा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया और ये शानदार जीत हासिल कर 25 वर्ष की उम्र में ही विधायक बन गए ।
23 नवंबर 1980 को मोतीलाल नेहरू विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय भोपाल की अपनी सहपाठिनी ज्योत्सना के साथ ये परिणय सूत्र में बंधे, जो संप्रति कोरबा क्षेत्र की मुखर सांसद हैं। इस विवाह में अर्जुनसिंह जी ने इनके अभिभावक की अशेष भूमिका निभायी। 1980 के बाद 1985,1993, 2018और 2023 में इस तरह ये कुल पांच बार विधायक निर्वाचित हुए , वहीं वर्ष 1998,1999 और 2009 में ये लोकसभा के लिए चुने गए। सन् 1988 में आप पहली बार मात्र 33 वर्ष की उम्र में अर्जुनसिंह मंत्री मंडल में कृषि राज्य मंत्री बने । सन् 1989 में कृषि राज्यमंत्री के रूप में कृषि विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के कारण इन्हें भारत कृषक समाज द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। सन् 1993 में ये दिग्विजयसिंह मंत्रिमंडल में वाणिज्यिक कर मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) बने। सन् 1995 मे ये गृह एवं जन सम्पर्क विभाग के केबिनेट मंत्री बनाए गए। सन् 1996 में बजट सत्र में गृहमंत्री के रूप में इनके द्वारा संपादित कार्यों को उत्कृष्ट मानते हुए इन्हें पं.रविशंकर शुक्ल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
12 जुलाई 2011 को प्रधानमंत्री डा.मनमोहनसिंह मंत्रिमंडल में आप कृषि, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री बनाए गए। वहीं 4 जनवरी 2019 को आप सर्व सम्मति से छत्तीसगढ़ के पांचवें विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित हुए। आप कार्यवाहक, कार्यकारी अथवा पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में कोई छह बार छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्थापित करने में आपकी अप्रतिम भूमिका रही , लेकिन यह घोर विडंबना है कि छत्तीसगढ़ राज्य के उदय के साथ अब तक आप चार बार छत्तीसगढ़ के मुखिया बनते-बनते रह गए। वस्तुत:डा. चरणदास महंत के चरण पकड़कर आगे बढ़नेवाले नेता गण समय आने पर इनके ही चरण खींचते रहे। डा.महंत आज की कुटिल राजनीति के दौर में शालीन राजनेता हैं। शालीनता इन्हें विरासत में मिली हैं। इनके आशीर्वाद के लिए लालायित रहनेवाले कुर्सीप्रेमी वक्त आने पर इन्हें ही आंख दिखाते रहे , लेकिन आपने धैर्य और शालीनता का दामन कभी नहीं छोड़ा। आप हमेशा संघर्ष करते रहे लेकिन कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। आज के राजनैतिक मूल्यहीनता के अंधेरों के बीच आप जलते हुए दिये की तरह हैं , रोशनी बिखेरते हुए,शायद यह कहते हुए-
“आंधियों के बीच जो जलता हुआ मिल जाएगा,
उस दिए से पूछना मेरा पता मिल जाएगा।”
आलेख @ डा.देवधर महंत
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