स्व. बिसाहूदास महंत की 98वीं जयंती
कोरबा(कोरबा वाणी)- छत्तीसगढ़ के जननेता दलित, आदिवासी, पिछडे वर्ग सहित श्रमिक कृषकों के हित चितंक छत्तीसगढ़ की अस्मिता के दैदीप्यमान नक्षत्र महंत बिसाहूदास के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। उक्त कथन महापौर राजकिशोर प्रसाद ने ओपन थियेटर घंटाघर के पास स्थित स्व. बिसाहूदास महंत स्मृति उद्यान में आयोजित उनकी 98वीं जयंती के अवसर पर विचार रखते हुए व्यक्त किया। राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि बिसाहू दास महंत जनप्रिय राजनेता थे चार बार मध्यप्रदेश में कैबिनेट मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनके ऐतिहासिक कार्य निर्वहन की क्षमता को कभी भी भुलाया नही जा सकता। वे कबीर पंथी होने के साथ-साथ गांधीवादी विचारक थें। सादा जीवन उच्च विचार की गरिमा को हर हमेशा जीवन की उच्चतम मूल्य मानते थे। सरलता, सहजता एवं मिलन सरिता के वे एक जीवंत प्रतिमूर्ति थे।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने स्व. बिसाहूदास महंत के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पृथक छत्तीसगढ़ की कल्पना, छत्तीसगढ़ी भाषा की कल्पना, हंसती खिलखिलाती संस्कृति का सपना देखा था स्व. बिसाहूदास महंत ने। उन्होने आगे कहा कि आज बिसाहूदास महंत जी हमारे बीच नही है लेकिन हम सबको उनके त्यागमय जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। वे राजनीति को सेवा कार्य मानते थे। विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनका लगाव था। आज जरूरत है महंत जी के लोक आदर्शो से प्रेरणा ग्रहण करने की।
जिला कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष हरीश परसाई ने बिसाहूदास महंत जी की 98वीं जयंती कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि स्व. बिसाहूदास महंत की स्मृतियों को सहेजना और उनके मानवीय संवेदना के पक्ष को अजागर करना आवश्यक है क्योकि वे जनसेवक और छत्तीसगढ़ के माटी के लाल बहादूर थे।
सभापति श्याम सुंदर सोनी ने स्व. बिसाहूदास महंत जी को याद करते हुए कहा बिसाहूदास महंत जी बहुत अच्छे संसदविज्ञ थे। अपनी ओजस्वी शैली और कुछ कर दिखाने के जज्बे के कारण वे संसदीय जगत के पुरोधा माने जाते थे।
कोरबा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष संतोष राठौर ने अपने विचार मे बताया स्व. बिसाहूदास महंत जी के विचार, सिद्धांत एवं अनुशासन आज भी सामुदायिक कल्याण के परिपेक्ष्य में सर्वथा प्रासंगिक है। उन्होने आगे कहा कि स्व. बिसाहूदास महंत जी ने अपनी कुशाग्र बुद्धि का उपयोग मानव सेवा के लिए विशेष कर पीड़ितो के किया। वे जितने धीर और गंभीर थे उतने ही विनोद प्रिय थे।
कार्यक्रम के शुरूवात में स्व. बिसाहूदास महंत जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया इस अवसर पर किरण चौरसिया, रूपा मिश्रा, शैलेन्द्र सिंह, द्रोपती तिवारी, प्रशांत सिंह, अनुप चन्द्रा, अनुज जायसवाल, प्रदीप जायसवाल, धरम निर्मले, लक्ष्मी भट्ट, कामता प्रसाद, रोहिहत कुमार सहित भारी संख्या में कांग्रेसजनों ने स्व. बिसाहूदास महंत जी की प्रतिमा में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।