यज्ञ से श्रेष्ठ कोई कर्म नहीं और भगवन नाम का जप भी उस यज्ञ के समान: पं. छत्रधर
कोरबा(कोरबा वाणी)-आचार्य पंडित छत्रधर शर्मा ने कहा कि यज्ञ से श्रेष्ठ कोई कर्म नहीं और उस यज्ञ के समान ही भगवन नाम का जप है। यज्ञ से पृथ्वी को नई ऊर्जा मिलती है और आसपास के वातावरण भी शुद्ध होते हैं, ऐसे में सर्वोत्तम कर्म भी यज्ञ को माना गया है। जो मनुष्य रोजाना 11 हजार बार भगवन नाम का जप कर ले, संसार में उससे बड़ा यज्ञ नहीं है।
नानापुरी कवर्धा वाले आचार्य पंडित शर्मा वैशाली नगर में रामायण यादव के घर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं को भगवान मनु की कथा सुनाते हुए धर्म और कर्म को विस्तार से समझाया। आचार्य पंडित शर्मा ने कहा कि हमने जो भी कर्म कर संपत्ति अर्जित की, उसे हमारे बच्चों ने खर्च कर दिया, बस यहीं से उस कर्म का अंत हो गया। लेकिन उस कर्म को करते समय अगर हमसे पाप हुआ है तो उसका फल हमे ही मिलेगा, न कि उन बच्चों को, जिसने उस संपत्ति को खर्च किया। भगवन नाम का जप जरूर करें, यह जीवनभर चलेगा। धर्म का पालन जरूरी है। इसका आचरण करते हुए जीवन जिएं और धर्म का पालन करते हुए इसे कर्म की पहचान बना लें। इसके लिए पूर्ण मनोयोग से अच्छे कर्म कर जीवन को सार्थक बनाएं। उन्होंने कहा कि जब भी प्रभु का ध्यान करें, उसके चरणों पर पहले ध्यान लगाएं। जब विचारों से मुक्त होंगे और मन खाली होगा तब परमात्मा पर ध्यान लग पाएगा और उनके दर्शन हो पाएंगे। जो भक्त सभी में परमात्मा का दर्शन करें, उसकी भक्ति सर्वश्रेष्ठ है। पंडित शर्मा ने गोस्वामी तुलसीदास जी रचित रामचरित मानस की चौपाई सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा है कि पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान है और हमें उनको हाथ जोडक़र प्रणाम कर लेना चाहिए।