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सुराकछार खदान से कोयला तस्करों की हौसला बुलंद, बांकी मोंगरा पुलिस की मिली मौन सहमति इधर कोयला चोरी उधर बिजली संकट

कोरबा(कोरबा वाणी)- इन दिनों बांकी थाना क्षेत्र अंतर्गत सुराकछार में दिनदहाड़े कोयले तस्करों की हौसले बुलंद नजर आ रही है, उसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन व संबंधित विभाग कार्यवाही करने से डर रहे हैं या सांठगांठ से कोयला तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं।

आपको बता दें कि कोयला माफियाओं का काम शाम में ही शुरू हो जाता हैं जहां सैकड़ों की भीड़ से डंप किए हुए कोयले को बोरी के माध्यम से ढोह कर कोयला तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। कोरबा एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बड़ी मशक्कत के बाद भी कोयला चोरी रोक पाने में सफल नहीं हो रहे हैं, प्रबंधन द्वारा प्रेस वार्ता के माध्यम से भी अवगत कर रहे हैं, ऐसा क्या बात है कि पुलिस प्रशासन के द्वारा कोल माफियाओं के ऊपर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं ना ही खनिज विभाग कोई ध्यान दे रहे हैं, ऐ तो समझ से परे हैं।जानकारों की माने तो इस कोयला माफियों को किनकी सह प्राप्त है जो दिन दहाड़े बेखौफ बड़ी मात्रा में कोयला तस्करी कर रहे हैं,अब सवाल यह खड़ा होता है कि बांकी थाना से महज 5-7 किलोमीटर की दूरी में यह कोयला का खेल चल रहा है, लेकिन उन कोयला माफियाओं तक पुलिस की हाँथ नहीं पहुंच पा रहा है, या बात कुछ और ही है,जो कार्यवाही करने पर पुलिस कतरा रही है,कोरबा पुलिस कप्तान शभोज राम पटेल के द्वारा अवैध कबाड़ चोरी,कोयला माफियाओं रेत माफियाओं पर अभियान चला कर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है लेकिन बांकी पुलिस द्वारा उनके आदेशो को ठेंगा दिखा रही है,जो बांकी थाना क्षेत्र अंतर्गत कोयला माफियाओं की राज कायम हो गया है, जो बेखौफ हो कर इस अवैध कोयला तस्करी कार्य को अंजाम दे रहें हैं,अगर ऐसी स्थिति रही तो आने वाले भविष्य में जिले सहित प्रदेश भर में कोयला संकट से जूझ सकते हैं। आपको बता दे देश में इन दिनों कोयले संकट की समस्या सामने आ चुकी हैं, अगर ऐसी स्थिति रही तो आने वाले समय में भी प्रदेश में भी कोयला संकट की समस्या आना निश्चित ही हैं। जिसकी जिम्मेदार कौन होगा…?

कैसे होता है कोयला चोरी….?

कोयला तस्करी का खेल शाम होते ही शुरू हो जाती है जहां आसपास के मजदूर के द्वारा ₹30 बोरी के माध्यम से कोयला डीपो से चोरी करा कर पिकअप में भरा जाता हैं, जहां 15-20 पिकअप सुराकछार दशहरा मैदान में खड़ा होता हैं, पिकअप के माध्यम से सीधे एनटीपीसी अगारखार में ट्रक के द्वारा सीधी प्रदेश से बाहर सांठगांठ के माध्यम से बिक्री के लिए भेजा जाता हैं, जहां कोल माफियाओं को अच्छी कीमत कोयले की मिलती हैं। जिसकी राशि सांठगांठ सभी विभागों को भी विभाजन होती है जिसकी वजह से ही जिले में कोयला तस्करी कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। आपको बता दें सुराकछार और कुसमुंडा एरिया में लगभग पंद्रा सौ से दो हजार की संख्या में मजदूरों से रोजाना कोयला चोरी कराया जाता हैं, जहां प्रति बोरी 30 रुपये की दर से दिया जाता हैं, जहां कम से कम एक मजदूर रोजाना एक हजार से पंदरा सौ रुपए की कोयला ढोहते हैं, इस राशि से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोल माफियाओं को 1 दिन में कितने मुनाफा होता होगा। लेकिन यहां आवाज उठाने वाले पत्रकारों के ऊपर ही हमले या झूठी मामलों में फंसा जाता हैं जिसकी वजह से पत्रकारों अपने कलम से लिखने से डरे हुए हैं। ऐसे बड़ी ख़बरों के प्रकाशन से पत्रकारों की जानमाल को ख़तरा है जिसका सिंडिकेट बड़ी मात्रा में जिले के सभी खदानों में भारी मात्रा में फल -फूल रहा है। सूत्रों की मांने तो इस सिंडिकेट में संलिप्त लोगों की सेटिंग उच्च लेबल तक है। थाना तो एक माध्यम है मंत्रालय तक रकम भेजने की बात सामने आ रही है।

अब देखना यह होगा कि मामला में क्या कार्यवाही कब तक होता है या उच्च लेबल के अधिकारियों के नाम से अवैध कार्य करने में कब तक सफल होता है।