कोरबा न्यूज़

महिला समूहों द्वारा उत्पादित सामानों एवं स्थानीय उत्पादों को मिलेगा बाजार,राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य एवं सांसद ज्योत्सना महंत की अध्यक्षता में 27 जून को होगा सी मार्ट का लोकार्पण,स्व सहायता समूहों के उत्पादों के ब्रांड हसदेव का भी होगा शुभारंभ

कोरबा(कोरबा वाणी)-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा अनुरूप महिला स्व सहायता समूहों को सशक्त बनाने तथा उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार उपलब्ध कराने के लिए कोरबा शहर में सी मार्ट का शुभारंभ होने जा रहा है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य और सांसद ज्योत्सना महंत की अध्यक्षता में 27 जून को सी मार्ट का लोकार्पण किया जाएगा। इसके साथ ही स्व सहायता समूहों के उत्पादों के ब्रांड हसदेव का भी शुभारंभ किया जाएगा। शुभारंभ समारोह 27 जून को दोपहर 3:00 बजे कोरबा शहर स्थित टीपी नगर चौक होटल शालीन के बाजू में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर, मुख्यमंत्री अधोसंरचना एवं उन्नयन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं पाली तानाखार विधायक मोहित राम केरकेट्टा, रामपुर क्षेत्र के विधायक ननकीराम कंवर, नगर निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवकला कंवर एवं नगर निगम के सभापति श्यामसुंदर सोनी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है की सी मार्ट में जिले में कार्यरत स्व सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद तथा स्थानीय उत्पाद सुपर मार्केट के रूप में एक ही छत के नीचे नागरिकों के खरीदी के लिए उपलब्ध रहेंगे। समूहों द्वारा बनाए जा रहे स्थानीय उत्पाद जैसे अचार, पापड़, मसाले, महुआ के उत्पाद, अगरबत्ती, काजू, डेली नीड के समान, साबुन, फिनॉइल, हाइजीन प्रोडक्ट्स, सेनेटरी नैपकीन, वनोपज से निर्मित उत्पाद, अश्वगंधा चूर्ण, गिलोय, मुलेठी जैसे वन औषधि , एलोवेरा, आमला, महुआ लड्डू आदि से लेकर दैनिक उपयोग की वस्तुएं सी मार्ट में उपलब्ध रहेंगे। साथ ही शिल्पकारों, बुनकरों, दस्तकरों, कुम्भकरों और अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पाद भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। इससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के साधन बढ़ेंगे। सी-मार्ट महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों के लिए आत्मनिर्भर बनने की राह में मील का पत्थर साबित होगा। इससे समूहों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी तथा स्वरोजगार के साधन भी बढ़ेंगे। समूहों के उत्पादों को बाजार मिलने से उत्पादन में शामिल लोगों को अधिक आर्थिक लाभ होगा।