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जिले के आश्रम-छात्रावासो में बच्चों को मीनू अनुसार दिया जा रहा पौष्टिक भोजन,सप्ताह में एक बार विशेष भोजन के रूप में बच्चो के रूचि अनुसार अण्डा, चिकन, मछली एवं पनीर भी दिया जा रहा,बच्चो की थाली में सिर्फ दाल-भात, हरी सब्जी नदारद‘ की शिकायत भ्रामक-सहायक आयुक्त आदिवासी विकास

कोरबा(कोरबा वाणी)-कोरबा जिले के आश्रम-छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को रहने की बेहतर सुविधाआंे के साथ-साथ अच्छा और पौष्टिक खाना भी दिया जा रहा है। आश्रम छात्रावासों में बच्चो की बेहतर सेहत के लिए मीनू अनुसार पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। बच्चो को संस्थाओं में सुबह नास्ता, दोपहर तथा शाम को भोजन दिया जाता हैं। बच्चों को खाने में प्रतिदिन दाल के साथ हरी सब्जी दी जाती है। जिले के आश्रम छात्रावासों में सप्ताह मे एक बार रविवार को इतवारी तिहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष भोजन के रूप में बच्चो के रूचि अनुसार अण्डा, चिकन, मछली एवं पनीर भी दिया जा रहा है। रविवार को विशेष भोजन देने से बच्चों के घर जाने की आदत कम हुई है तथा इससे आश्रम छात्रावासों में उपस्थिति बढ़ी है। त्यौहार जैसे दीपावली, रक्षाबंधन एवं अन्य त्यौहारों में बच्चो को विशेष रूप से खीर, पूडी भी दी जाती है। हर त्यौहार को छात्रावास में उत्साह के साथ मनाया जाता है। जिससे बच्चों को छात्रावास आश्रमों में घर जैसा माहौल मिलता है। भोजन व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए वाट्सएप गु्रप भी बनाया गया हैं। इसके माध्यम से सतत निगरानी रखी जाती है।

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास माया वारियर ने ‘बच्चों की थाली में सिर्फ दाल, भात हरी सब्जी नदारद‘ से संबंधित शिकायत को भ्रामक बताया है। उन्होने बताया कि प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास श्यांग सहित सभी आश्रम छात्रावासांे में मीनू अनुसार बच्चांे को भोजन दिया जाता है। छात्रावास श्यांग के छात्र नायक लल्लू मंझवार ने बताया कि प्रति रविवार को इतवारी तिहार के तहत पिछले रविवार सात अगस्त को खाने में अण्डा दिया गया था। छात्रावास में प्रतिदिन हरी सब्जी दी जाती है। शनिवार को बाजार के दिन छात्रावास के लिए सब्जियां खरीदी जाती है। छात्रावास में चौकीदार एवं अधीक्षक भी रहते है। छात्रावास में बच्चो के खेल-कूद के लिए सामग्री भी उपलब्ध है। सहायक आयुक्त ने बताया कि जिले में कुल 183 आश्रम छात्रावास स्वीकृत है। जिसमें से आदिवासी वर्ग के 164, अनुसूचित जाति वर्ग के 18 एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के एक है। सभी संस्थाओं में बच्चों को भोजन मे विशेष रूप से हरी सब्जियां दी जाती है। बच्चो को प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में मिले इसको ध्यान में रखकर सप्ताह में दो दिन विशेष रूप से सोयाबीन बड़ी दिया जाता है।