कोरबा में 76000/- रुपये पर नीलाम हुआ भगवान गणेश पर चढ़ा हुआ प्रसाद का लड्डू
कोरबा(कोरबा वाणी)-कोरबा के एक गणेश पंडाल में भगवान गणेश पर एक लड्डू चढ़ाया गया जिसकी नीलामी 76000/- रुपये में हुई है। 11 किलो के लड्डू की नीलामी में इतने पैसे देख लोग दंग रह गए। इतना ही नहीं बल्कि अब इस नीलामी ने कोरबा के गणेश भक्तों में एक रिकॉर्ड भी बना दिया है।
हमारे देश में गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है. गणेश उत्सव के दौरान भक्त भगवान गणेश की भक्ति में कुछ ऐसा कर जाते है जो अनोखा रिकॉर्ड बन जाता है. ऐसा ही एक रिकॉर्ड कोरबा के एक गणेश भक्त ने अपने नाम किया है. गणेश जी के इस भक्त ने भगवान गणेश के प्रसाद के लड्डू की नीलामी में सबसे अधिक 76000/- की बोली लगाकर प्रसाद के लड्डू को खरीदा है.
15 साल से गणेश पूजा की परंपरा, 2018 से प्रसाद नीलामी की शुरुवात
दरअसल कोरबा के शिवाजी नगर के निगम कॉलोनी में तेलुगू समाज के लोग बड़ी संख्या में निवासरत है, जो एक परिवार की तरह प्रत्येक त्योहार को मनाते हैं। उसमें गणेश पूजा भी शामिल है। करीब 15 साल से कॉलोनी में पंडाल बनाकर गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति बिठाने और अनंत चतुर्दशी तक पूजा करने का सिलसिला शुरू हुआ. लेकिन वर्ष 2018 में समाज के लोगों ने तेलुगु समाज की परंपरा के अनुसार गणेश पूजन के साथ प्रसाद में चढ़े लड्डू के नीलामी की परंपरा भी शुरू की।
पहले साल 11,101/- में नीलाम हुआ प्रसाद का लड्डू
पहले साल मोतीचूर के 2 किलो का लड्डू चढ़ाया गया, बोली 2,101/- और रुपए से शुरू हुई और प्रसाद का लड्डू 11, 101/- रुपए में नीलाम हुआ। तब से हर वर्ष लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है और उसकी नीलामी की जाती है।
सम्मान के साथ सिर पर रखकर घर ले जाया गया प्रसाद का लड्डू
इस वर्ष पूरे 11 किलो का मोतीचूर के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया गया था, जो 76,000/- रुपए में नीलाम हुआ। सबसे अधिक बोली लगाने वाले भक्त ने मोतीचूर बूंदी के लड्डू को अपने सिर पर रखा और सम्मान के साथ अपने घर लेकर गया. इस दौरान उसके आगे-आगे एक युवक सड़क पर पानी छिड़क रहा था और पीछे-पीछे लोगों की भीड़ चल रही थी.
तेलुगु समाज में शुभ माना जाता है प्रसाद की नीलामी
समिति के अध्यक्ष उसतेला लक्ष्मण की माने तो तेलुगू समाज में भगवान गणेश को चढ़ाया हुआ लड्डू बहुत शुभ माना जाता है। गांव में वर्षों से लड्डु खरीदने की परंपरा चल रही है। लेकिन शहर में यह दूसरा ही साल है क्यूंकि कोरोना की वजह से सार्वजनिक रूप से गणेश नही रखा गया था.
प्रसाद के लड्डू के साथ घर पहुंचते हैं स्वयं विघ्नविनाशक
भगवान के विसर्जन से एक दिन पहले बोली लगाकर लड्डु खरीद लिया जाता है। लड्डु को परिवार के लोग प्रसाद के रूप में खा लेते हैं। आस-पास बांट भी देते हैं। इस तरह लड्डु के घर पहुंचने पर विघ्नहर्ता स्वय घर पहुंच जाते हैं और सुख-संपत्ति का आर्शीवाद देते हैं.
*सौभाग्य, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि लाता है गणेश जी का प्रसाद
गौरतलब है की भगवान गणेश के लिए बने लड्डू को प्रसाद के रूप में नीलाम करने की परंपरा है और ऐसा माना जाता है कि जो भी ये जीतता है उसे “भगवान का विशेष आशीर्वाद” मिलता है. तेलुगु समाज के लोगों का मानना है कि लड्डू उनके लिए सौभाग्य, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि लाता है.