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शराब के नशे में विवाद हुआ तो हमप्याले की कर दी थी हत्या, शव ठिकाने लगाने में दो ग्रामीणों ने की मदद, सभी गिरफ्तार

कोरबा(कोरबा वाणी)-कटघोरा पुलिस ने ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझा ली है। शराब के नशे में विवाद हुआ तो हमप्याले की हत्या कर मुख्य आरोपी ने पैसे का लालच देकर शव को ठिकाने लगाने में दो ग्रामीणों की मदद ली थी। हत्या के इस मामले में पुलिस ने सभी तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें कि 20 सितंबर को कटघोरा थाना क्षेत्र के जुराली के अहिरन नदी के पास एक अधेड़ की संदिग्ध परिस्थिति में लाश मिली थी, जिसकी पहचान उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद थाना क्षेत्र के माखनपुर निवासी थान सिंह के रूप में हुई। वैधानिक कार्रवाई उपरांत शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसकी रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत होना बताया गया। अब पुलिस के सामने हत्या की गुत्थी को सुलझाने की चुनौती बनी हुई थी। जांच में जुटी पुलिस टीम को पता चला कि मृतक थान सिंह आलू, प्याज का थोक व्यापारी था और कटघोरा के चिल्हर व्यापारियों को हर दो-तीन महीने के अंतराल में आलू, प्याज की बिक्री करने पहुंच जाता था। पुलिस को जानकारी मिली कि हाल ही में जब वह कटघोरा पहुंचा तो पूछापारा के एक मकान में रूका था। मामले का खुलासा करते हुए कटघोरा पुलिस ने बताया कि कटघोरा अक्सर आने-जाने से और इंद्रजीत लॉज में रूकने से यहां के नौकरों से उसका परिचय हो गया था। 18 सितंबर को पूछापारा निवासी छत्रपाल यादव के साथ थान सिंह ने शराब पी। नशा कम होने से थान सिंह शराब लाने आमाखोखरा गया। इसके बाद पूछपारा में दोनों ने शराब पी। नशे में दोनों को विवाद हुआ और छत्रपाल ने आवेश में आकर थान सिंह के गुप्तांग में पैर से वार किया और फिर गला दबाकर हत्या कर दी। शव को उसने घर में छुपाकर रखा। 19 सितंबर को छत्रपाल ने साथी इंद्रपाल यादव व आमाखोखरा निवासी बबलू यादव के साथ शव को ठिकाने लगा दिया। दोनों ने पैसे के लालच में मदद की थी। रात में अंधेरे का फायदा उठाकर बाइक पर शव को जुराली स्थित अहिरन नदी के पास लेकर गए और नदी में शव फेंक दिया। इसके पहले आरोपी छत्रपाल ने मृतक का मोबाइल अपने पास रख सिम कार्ड घटनास्थल पर ही फेंक दिया। पुलिस ने हत्या के आरोप में तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। हत्या के इस गुत्थी को सुलझाने में कटघोरा थाना प्रभारी निरीक्षक अश्विन राठौर, एएसआई जितेंद्र यादव, बिसोहन चंद्रा, प्रधान आरक्षक संदीप पांडेय, चंद्रपाल खांडे, आरक्षक शिवशंकर सिंह का योगदान रहा।