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पति-पत्नी ने निभाई साथ जीने-मरने की कसम, पति के वियोग में पत्नी ने भी थोड़ा दम, एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार

कोरबा (कोरबा वाणी) – कहते हैं जोड़ियां स्वर्ग से बनकर आती है। जिंदगी और मौत का समय भी ऊपर से लिखकर आता है। लेकिन ऐसे जोड़े विरले ही होते हैं, जो साथ जीने-मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं। ऐसी ही विरले जोड़ियों में शामिल हो गए कोरबा जिले के दीपका स्थित प्रगतिनगर कॉलोनी निवासी वशिष्ठ नारायण सिंहा और रमावती देवी। पति वशिष्ठ नारायण की मौत के बाद 24 घंटे के अंदर ही पत्नी रमावती देवी ने भी 72 साल पहले शादी के दिन साथ जीने-मरने की खाई कसम को पूरा कर दुनिया से विदा हो गईं। प्यार का मिसाल कायम करने वाली दंपती की अर्थी और शवयात्रा भी एक साथ निकाली गई। इतना ही नहीं, दोनों का अंतिम संस्कार भी एक ही चिता पर हुआ। 1951 में वैवाहिक जीवन के बंधे दंपत्ति ने 72 वर्ष साथ बिताए और एक साथ दुनिया को अलविदा कह गए पूरे क्षेत्र में इस घटना की चर्चा हो रही है।

दरअसल मूलतः बिहार निवासी वशिष्ठ नारायण सिंहा परिवार सहित कई सालों कोरबा जिले के दीपका प्रगतिनगर कॉलोनी में रहते थे। उम्रदराज वशिष्ठ नारायण काफी समय से बीमार चल रहे थे जिनका उपचार भी किया जा रहा था। इसी दौरान बीते बुधवार की दोपहर उनका स्वर्गवास हो गया। मृत वशिष्ठ नारायण के बिहार में रहने वाले परिजनों को उनके स्वर्गवास हो जाने की सूचना दी गई। परिजन भी अंतिम यात्रा में शामिल होने बिहार से निकले।बिहार से आने वाले परिजन के इंतजार के लिए शव को एक दिन के लिए गेवरा स्थित अस्पताल की मर्च्युरी में रखा गया था।

दूसरे दिन गुरुवार को अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी। स्व वशिष्ठ नारायण की पत्नी 84 वर्षीय रमावती देवी पति के शव के पास बिलख- बिलख कर रो रही थी, इसी दौरान 72 सालों के जीवन साथी का साथ छूट जाने का सदमा उन्हे लगा और रोते-रोते उन्होंने भी दम तोड दिया। जिन्होने भी यह दृश्य देखा इस प्यार को देखकर सबकी आंखें नम हो गई। दीपका कोयलांचल क्षेत्र में धूमधाम से दंपत्ति को आखिरी विदाई दी गई। दोनों की शवयात्रा साथ-साथ निकाली गई। और दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ एक ही चिता पर किया गया।