कोरबा न्यूज़

पुराने लम्बित रोजगार के मामले पर ऊर्जाधानी सन्गठन की बैठक,अर्जन के बाद जन्म, रैखिक सबन्ध, अलग अलग वर्ष में अर्जन और दस्तावेजो में कमी के कारण सैकड़ो रोजगार से वंचित

दीपका/गेवरा(कोरबा वाणी)-एसईसीएल के गेवरा एवं दीपका क्षेत्र के दर्जनों ग्राम के विस्थापित हुए परिवार के लोग 30 वर्ष के बाद भी अपने रोजगार पाने की आस में बूढ़े हो चले हैं पर उनकी समस्याएं कोल इंडिया पालिसी और राज्य की पुनर्वास नीति में खामियों की वजह से जस की तस बनी हुई है । रोजगार के लिए नामांकन दाखिल करने वाले भुविस्थापितों को एसईसीएल द्वारा अर्जन के बाद जन्म, रैखिक सबन्ध, अलग अलग वर्ष में अर्जन और दस्तावेजो में कमी होने का हवाला देकर प्रबंधन अपनी हाथ खड़ा कर ली है ।

रोजगार के लिए अपात्र बताए गए भुविस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति ने पहल करते हुए अपने गठन के बाद से ही लगातार प्रमुखता से मांग उठाते आयी है । पिछले दिनों जिला प्रशासन एसईसीएल प्रबन्धन और ऊर्जाधानी सन्गठन के मध्य त्रिपक्षीय वार्ता में सहमति बनाई गई है कि ऐसे मामलों में नीतियों में संशोधन के लिए जिला पुनर्वास समिति में प्रस्ताव लाया जाएगा । गौरतलब है कि वार्ता के बाद कलेक्टर रानू साहू के निर्देशानुसार गांवो में सर्वे कर रोजगार बसाहट और मुआवजा से सबंधित समस्याओ का संकलन किया गया था और पुनः समीक्षा बैठक में इस बाबत सहमति बनी है कि पुराने रोजगार के मामले में नीति में संशोधन की प्रकिया पूरी कर सभी पात्र को रोजगार देना होगा । सर्वे के दौरान छुटे लोंगो के लिए तीन महीने का समय भी दिया गया है जिसमे वो आवेदन कर सके । पुनः सभी क्षेत्रों में एसडीएम व तहसीलदारों की नेतृत्व जाँच समिति का गठन भी किया गया है ।

ऊर्जाधानी सन्गठन द्वारा लगातार गांव गांव में जाकर सर्वे और बैठक आयोजित कर प्रभावितो को लाभ दिलाने के प्रयास में जुटी हुई है । विजयनगर और बेलटिकरी में एरिया स्तर पर कमेटी का गठन भी किया गया और एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट बनाकर प्रबंधन को सौपी जाएगी और कार्यवाही को जल्द पूरा करने का दबाव बनाया जाएगा । यदि अनसुना किया गया तो आंदोलन की रूपरेखा भी बनाया गया है ।

बैठक में ऊर्जाधानी संगठन अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ललित महिलांगे गजेंद्र सिंह ठाकुर नरेंद्र राठौर राहुल जायसवाल वीर सिंह सजन भागीरथ यादव बसंत कंवर संतोष चौहान सुरेश कुमार बहारतीन बाई एवं अनेक भूविस्थापित शामिल थे ।