यात्री रेल चालू करो 3 अप्रैल से 12 अप्रैल तक पदयात्रा अंतागढ़ प्रारंभ
कोरबा वाणी –
कांकेर आज दिनाँक बस्तर रेल अन्दोलन विभिन्न समाजिक नेतृत्व में अंतागढ़ से आज प्रारंभ किया गया जिसका समापन 12 अप्रैल को विषल जन अन्दोलन के रूप में जगदलपुर में समापन होगा। उक्त अन्दोलन में अपनी एकजुठता प्रदर्षित करते हुऐ वरिश्ठ माकपा नेता नजीब कुरैसी एव छ.ग. राज्य मिस्त्री रेजाकुली एकता युनीयन के राज्य उपघ्यक्ष तुलसी राम राणा ने समर्थन व्यक्त करते हुऐ कहा की वर्तमान में अंतागढ़ तक के रेल मार्ग बन कर तैयार है फिर भी रेल सुविधा ग्राम केवटी तक ही समीत रखा गया है जिससे तत्काल अंतागढ़ तक नागरीक सुविधा के लिए प्ररंभ किया जाय व जगदलपुर तक विस्तारी करण किया जाने की माँग करते हुऐ नजीब कुरैषी ने कहा की रेल लाइन का विस्तार मानव सभ्यता के विकास में अहम भुमिका निभाता है। भारत में अंग्रेजो ने रेल लाइन बिछाया था, यहां के कच्चे माल का ढुलाई करने के उद्देष्य से ताकि यह कार्य माल बंदगाह तक पहुँया जासके और उसके बाद वह अपने देष में ले जा सके। आजादी के बाद रेल लाइन का उपयोग हमारे देष के पूँजीपति वर्ग ने कच्चे माल को अपने को अपने उद्योग में लाने एवं अपने उत्पादित सामानों को बाजार तक पहुँचाने के लिए करते रहे ताकि उनका मूनाफा हो सके। यात्री परिवहन के लिए रेल का उपयोग मुख्य उद्देष्य कभी भी षासक वर्ग के लिए नहीं रहा है। रेल का उपयोग वाहा अपनी मूनाफा कमाने के लिए किया है।
कुरैषी ने अगे कहा की आजादी के 75 वर्श बाद भी बस्तर में रेल का वह जाल नहीं बिछा पाया है। यहाँ रेल पटरी का उपयोग जिसे यहाँ का खनिज सपंदा को लूटने के लिए किया जा रहा है। रेल पटरी से सिर्फ माल ढुलाई का काम किया जाता है यात्री परिवाहन के लिए नहीं किया जाता है जबकि रेल परिवाहन सार्वजनिक परिवाहन के सबसे सस्ता माध्यम है अंतागढ़ तक रेल पटरी बिछा जाने के बाद भी यात्री परिवाहन नही किया जाता है। अंतागढ़ से जगदलपुर रेल परियोजना है, लेकिन इसे प्रारंभ नही किया जा रहा है।
कुरैषी ने बताया की बस्तर संभाग का विकास रेल के विस्तार से यात्रा जुड़ा हुआ है रेल परिवाहन ही बस्तर की जनता को देष के साथ जोडने में सुगम बनायगी। बस्तर के आदिवासी लोगो के विकास भी रेल के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन मोदी सरकार सिर्फ पूँजीपति वर्ग को ध्यान में आदिवासी बहुल बस्तर का उपेक्षा कर रही है। केन्द्र सरकार को आदिवासी व पूँजीवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्श करने की आवष्यकता बल देते हुए अन्दोलन तेज करने की नगरीक सुविधा हेतु यात्री रेल को हासील करने की बात कही।
भवदीय
सुखरंजन नंदी
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