अम्बिका परियोजना से प्रभावितों का प्रदर्शन,ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले ग्राम करतली के भूविस्थापितों ने रैली निकाल घेरा महाप्रबंधक कार्यालय
पाली/कोरबा(कोरबा वाणी)-ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने एसईसीएल की कोरबा क्षेत्र अंतर्गत अम्बिका ओपन कास्ट खदान के प्रभावित किसानों के रोजगार, मुआवजा ,बसाहट की मांग और आंशिक अधिग्रहण के खिलाफ एसईसीएल कोरबा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौपा । इससे पूर्व मुड़ापार से कार्यालय तक रैली निकाली ।
ग्राम करतली, तहसील पाली, जिला कोरबा (छ ग) का अधिग्रहण एस ई सी एल कोरबा एरिया हेतु अम्बिका परियोजना के लिए किया गया है । जिसके लिए धारा 4(1) का प्रकाशन 15 जुलाई 2009 , धारा 9(1) का प्रकाशन 23 जनवरी 2011 एवम धारा 11(1) का प्रकाशन 11 सितंबर 2011 को किया गया है । अधिग्रहण के बाद करतली के ग्रामीण रोजगार, मुआवजा, पुर्नवास एवम आंशिक अधिग्रहण की समस्या से संघर्ष करते आ रहे हैं । जिसका प्रबंधन निराकरण नही कर रहा है । करतली के छोटे-बड़े सभी खातेदार बेहतर तरीके से जीवकोपार्जन करते आ रहे हैं । अर्जन उपरांत जिला पुर्नवास समिति के द्वारा CILपॉलिसी 2012 लागू करने के बाद छोटे खातेदार रोजगार से वंचित हो गए हैं । ग्राम के 684 खातेदारों के 310 एकड़ जमीन का अर्जन किया गया है, जिसमे से केवल 59 डिसमिल से अधिक रकबा वाले 155 खातेदार को रोजगार प्रदान किया जा रहा । ग्राम के 529 खातेदार को रोजगार प्रदान नही किया जा रहा है । जिसमे लगभग 96-97 प्रतिशत अनु. जनजाति वर्ग से है ।
छत्तीसगढ़ राज्य की पुनर्वास नीति को लागू किया जाय, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा रहा है । ग्रामीण शुरू से ही CIL पॉलिसी 2012 का विरोध कर रहे हैं । CIL पॉलिसी 2012 में स्पष्ट उल्लेखित है कि मार्च 2012 के बाद हुए अधिग्रहण पर यह लागू होगा , ग्रामीणों के विरोध उपरांत भी 2011 के अधिग्रहण पर लागू किया जा रहा है । विस्थापित होने के बाद जीवकोपार्जन की गंभीर समस्या निर्मित हो जाएगी ।करताली के लोगो को भूमि एवम अन्य परिसंपत्तियों का मुआवजा भुगतान 2016 के बाद किया गया है । ग्रामीणों को मुआवजा निर्धारण की जानकारी मौखिक रूप से वर्ष 2016 में हुई है । नियमानुसार कोयला मंत्रालय दिल्ली के पत्र दिनांक 4 अगस्त 2017 के अनुसार , 1 सितंबर 2015 के बाद मुआवजा निर्धारण होने पर लार कानून का पालन करते हुए मुआवजा भुगतान करना था , जो नहीं किया गया है । पुराने दर से मुआवजा भुगतान किया जा रहा है, अधिग्रहण एवं मुआवजा भुगतान अवधि के बीच के समय का ब्याज भी प्रदान नहीं किया जा रहा है । माननीय न्यायालय हाईकोर्ट बिलासपुर में इस बाबत अभ्यावेदन लगाया गया था । इसके उपरांत भी निराधार तथ्यों के आधार पर लार कानून का लाभ देने से बचने का प्रयास किया जा रहा है । ग्राम के बहुत से खातेदारों के जमीन का संपूर्ण अधिग्रहण नहीं किया गया है । विस्थापन के बाद शेष बचे भूमि पर खेती करना सम्भव नही है, क्योकि भूमि निवास स्थान से दूर हो जायेगा एवम खदान के प्रदूषण से फसल नही हो पायेगा । जिस स्थान पर ग्रामीणों को पुर्नवास देने की जानकारी प्रदान की गई है, वह लगभग 25 किलोमीटर दूर है । ग्रामीण नजदीक में पुर्नवास चाहते हैं , ताकि कार्य के लिए खदान आने जाने में दिक्कतें न हो ।
ज्ञापन सौपने के दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने उपस्थित अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है ग्रामीणों को उनकी अधिकारों से वंचित किये जाने पर उग्र आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा ।
ज्ञापन सौंपने के दौरान ब्रृजेश श्रीवास, गजेंद्र सिंह ठाकुर ,जयपाल सिंह खुसरो, शंकर सिंह,प्रकाश कोर्राम, ललित महिलांगे नंद कुमार, संतोष चौहान, रामकुमार, बसंत कंवर, सनत राम, सीताराम, शिवनारायण, भोक सिंह, गेंदराम ,बिरजू ,रघुनंदन ,सहस राम, राम कुंवर, बिमला बाई, सुखमती, मीरा बाई, फूल कुंवर, रामायण बाई, राजकुमारी, प्रीतम बाई, रमला बाई ,सुकवारा बाई, राजकुमारी टेकाम, शिवकुमारी, शांति बाई, टिकैटिन बाई, सुमित्रा बाई सलाम, प्रमिला बाई, सीमा मराबी ,जसोदा बाई प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
प्रेषक
ललित महिलांगे
मीडिया प्रभारी
U B K K S