जिले के अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के जाति प्रमाण पत्र बनाने चलेगा अभियान,संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जनजाति समाज प्रमुखों से की चर्चा,जाति प्रमाण पत्र से संबंधित समस्याओं का समाधान करने दिए निर्देश,वर्चुअल बैठक में कलेक्टर संजीव झा और जिले के अनुसूचित जनजाति समाज प्रमुख हुए शामिल
कोरबा। (कोरबावाणी) – संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने आज बिलासपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के विभिन्न जनजाति समाज प्रमुखों से चर्चा कर उनकी समस्याएं सुनी। डॉ अलंग ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप जनजाति समाज के लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने में हो रही समस्याओं के समाधान के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए। कलेक्टर संजीव झा जिले के विभिन्न समुदाय प्रमुखों की मौजूदगी में कलेक्टोरेट के एनआईसी कक्ष से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। संभागायुक्त डॉ. अलंग ने बैठक में शामिल हुए समुदायों के प्रतिनिधियों से जाति प्रमाण पत्र बनाने में आने वाली दिक्कतांे के बारे में जानकारी ली। जिले के कुछ समुदाय प्रमुखों ने मात्रात्मक त्रुटि एवं मिशल रिकार्ड नही मिलने के कारण जाति प्रमाण पत्र नही बनने की समस्या को बैठक में बताया। कमिश्नर डॉ. अलंग ने समुदाय प्रतिनिधियों की बातो को सुनकर तकनीकी त्रुटियों को दूर करते हुए शिविर के माध्यम से जनजाति समुदायों के सदस्यों का जाति प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिये। इस दौरान बैठक में अपर कलेक्टर विजेन्द्र पाटले, डिप्टी कलेक्टर भरोसा राम ठाकुर, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग माया वारियर सहित गोड़, धनवार, बिंझवार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, भारिया, पाव एवं उरांव समाज के प्रतिनिधिगण शामिल हुए।
बैठक में शामिल कुछ जनजाति सदस्यों ने मिसल रिकॉर्ड के अभाव में जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने की समस्या बताई। इस पर कलेक्टर झा ने कहा कि ग्राम सभा की अनुमोदन से जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अभियान चलाया जायेगा। छूटे हुए लोगों का परीक्षण कराकर अभियान के तहत जनजाति सदस्यों का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। उन्होने जाति प्रमाण पत्र और सामुदायिक वन अधिकार पत्र बनाने के लिए विशेष अभियान चलाने की कार्य योजना बनाने के निर्देश सहायक आयुक्त को दिये। अभियान के तहत् ग्रामसभा के माध्यम से जाति प्रमाण पत्र बनाने का अनुमोदन किया जाएगा। ग्रामसभा में समाज प्रमुख के सदस्य भी शामिल होंगे। उनकी उपस्थिति में पंचनामा भी तैयार किया जाएगा। जिससे छुटे हुए जनजाति सदस्यों के जाति प्रमाण पत्र आसानी से बन सकेगा।