जेल के अंदर कैदी कर रहे गौ सेवा, गौसेवा से मिल रहा लाभ, आचरण में आया बदलाव
कोरबा (कोरबा वाणी)– लूट, हत्या और चोरी के जुर्म में सजायाफ्ता कैदियों को सुधारकर मुख्यधारा में जोड़ने वाले जेलरों पर बॉलीवुड में ”दो आंखें बारह हाथ, कर्मा, वतन के रखवाले” जैसी अनगिनत फिल्मे आप ने देखी होगी। इन फिल्मों के जेलर रील लाइफ की कहानी है लेकिन कोरबा जिला जेल में पदस्थ जेलर विजयानंद सिंह रियल लाइफ में इन सजायाफ्ता कैदियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अनोखा प्रयोग किए हैं। यूपी में योगी सरकार की कई जेलों में चल रहे गौसेवा की तर्ज पर कोरबा जिला जेल के जेलर विजयानंद सिंह ने भी जेल में ही गौशाला शुरू किया है। इस जेल में बंद सजा याफ्ता कैदियों की गौशाला में ड्यूटी लगाई जा रही है। लूट, हत्या, चोरी और अपहरण जैसे मामलों में जेल में बंद हैं, वो भी गाय की सेवा करके खुद को धन्य समझ रहे हैं. वे भी गोसेवा करके तनाव से दूर मानसिक शांति पा रहे है.
जेल में बंद कैदी गौसेवा में लीन
वैसे तो जेल में अपराधियों को उनके द्वारा किए गए जुल्म के अनुसार सजा देने के लिए रखा जाता है लेकिन कोरबा के जिला जेल को सुधारगृह बना दिया गया है। ताकि अपराधी को जेल से छूटने के बाद पुनः अपराधी बनने से रोका जा सके और सजा पूरी होने के बाद वह सम्मान से अपना शेष जीवन व्यतीत कर सके। इस जेल में बंद कैदी गौ – सेवा में लीन रहते है। गाय की सेवा कर बंदियों का ना सिर्फ व्यवहार बदल रहा है बल्कि कई कैदी सुधरकर रिहा भी हो चुके है। खास बात ये है कि बंदी आर्थिक स्वार्थ लाभ के लिए गायों की देखभाल नही करते बल्कि जेलर की प्रेरणा से उनके मन में ही सेवा के भाव का संचार हुआ है। जेल के जेलर रोज सुबह दैनिक कार्य की शुरुआत करने से पहले गौशाला पहुंचकर गायों के साथ वक्त बिताते हैं। जेलर के इस पहल से कैदी काफी प्रभावित है।
जख्मी और बीमार मवेशियों की होती है सेवा
जेलर विजयानंद सिंह ने बताया की जेल के भीतर साल 2006 से गौशाला का संचालन हो रहा है। ऐसे मवेशी जो जख्मी या बीमार होते है उसे पारसनाथ जैन गौशाला द्वारा जेल को सौंपा जाता है जिसकी सेवा यहां की जाती है।
भगवान भी अच्छे कर्मों को देखकर दे रहे फल
जेलर विजयानंद सिंह ने बताया की यहां 50 से अधिक मवेशी है। जिनकी सेवा में कैदी लीन रहते है जिससे उनके व्यवहार में बदलाव आया है। और कैदियों के इस बदलाव को भगवान भी देख रहा है। उनके अच्छे कर्मों का फल भी मिल रहा है, अच्छे कर्मों की वजह से ही एक मरीज जिसका इलाज बड़े बड़े अस्पताल में नही हो रहा था उसने जेल के गौशाला से गौमूत्र का सेवन किया और आज पूरी तरह ठीक है।
सभी धर्म के कैदी स्वेच्छा से कर रहे हैं गौसेवा
हिंदू धर्म में मान्यता है कि बड़े से बड़ा कष्ट सिर्फ गौ माता की सेवा करने से दूर हो जाता है। गाय की सेवा करने से घर में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। लेकिन कोरबा जिला जेल में केवल हिंदू धर्म के कैदी ही नही अन्य धर्म को मानने वाले कैदी भी स्वयं से गौसेवा करने की इच्छा जाहिर करते हैं।
पॉजिटिव माहौल से कैदियों में आया पॉजिटिव आचरण
कहा जाता है मनुष्य बुरा नहीं होता, उसका कर्म बुरा होता है. हमें अपराधी से नहीं, अपराध से घृणा करनी चाहिए। कोरबा जिला जेल के जेलर विजयानंद सिंह ने जेल के अंदर जो पॉजिटिव माहौल लाने के उद्देश्य से गौसेवा शुरू की है उससे पॉजिटिव आचरण कैदियों में आ रहा है.