ग्रामीण के घर निकला जहरीला नाग, पवित्र सावन मास मे नाग दर्शन को माना शुभ, दूध, नारियल, फूल, अगरबत्ती चढ़ाकर रात भर जग ग्रामीणों ने किया नाग की पूजा
कोरबा (कोरबा वाणी) – पूरी दुनिया मे भारत ही है जहाँ आस्था का मेला लगता है। भले ही विज्ञान अपने तर्कों से इसे झुठलाने का प्रयास करे लेकिन आज भी हम हमारी संस्कृति मे विश्वास रखते हैं और हमारी संस्कृति में आदि काल से ही नाग को आध्यात्मिक आस्था और विश्वास के एक क्रियाशील प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। युगों से भारत में नाग की महिमा का गायन होता रहा है। देवाधिदेव महादेव शंकर अपने गले में जिसे धारण करते हों, वह स्वत: पावन एवं पूजित हो जाता है। इसीलिए भगवान शिव के पवित्र माह सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग की पूजा का विधान है। लेकिन कोरबा जिले के भैसमा मे नागपंचमी के 10 दिन पहले ही ग्रामीणों ने रात भर जग कर ज़िंदा नाग की पूजा की. नाग पर दूध, नारियल, फूल चढ़ाया गया और उसकी अगरबत्ती दिखाकर पूजा की गयी.
जानकारी के अनुसार कोरबा जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर ग्राम भैसमा के एक ग्रामीण के घर शनिवार की रात को एक 5 फीट लम्बा जहरीला नाग घुस गया. घर वालों ने जब नाग को घर के अंदर फन फैलाए बैठे देखा तो नाग की पूजा पाठ में पूरा परिवार लग गया. यह बात पड़ोसियों के जरिए कुछ अन्य ग्रामीणों को हुई तो वे भी पवित्र सावन मास मे नाग के दर्शन को शुभ मानते हुवे दूध, नारियल और फूल लेकर पहुँचने लगे.
ग्रामीणों ने पूरे रात भर जागरण किया इस दौरान जो भी ग्रामीण आते दूध, फुल, अगरबत्ती, नारियल चढ़ाकर नाग की पूजा करते और इस बात का भी ध्यान रखते की कहीं नाग वहां से कहीं और न चला जाए. ताज़्ज़ुब की बात यह रही की रात भर जहरीला नाग घर के एक ही जगह पर फन फैलाए बैठा रहा और न ही किसी भी व्यक्ति को कोई नुक्सान पहुंचाया.
जब सुबह कुछ पढ़े लिखे लोगों को इस बात का पता चला तो स्नेक रेस्क्यू टीम को फोन लगाकर इस घटना की जानकारी दी.
जहरीले नाग की पूजा की सुचना मिलने के बाद स्नेक रेस्क्यू टीम प्रमुख जितेन्द्र सारथी अपने टीम के अन्य सदस्य के साथ ग्राम भैसमा के लिए रवाना हुवे.
मौका स्थल पर पहुंच कर स्नेक रेस्क्यू टीम प्रमुख जीतेन्द्र सारथी ने घरवालों और ग्रामीणों को समझाकर घर से बाहर किया फिर बड़ी सावधानी से नाग का रेस्क्यू कर हवादार डिब्बे में भरा.
जब तक स्नेक रेस्क्यू टीम द्वारा नाग का रेस्क्यू किया गया तब तक नाग निकलने की बात गाँव मे आग की तरह फ़ैल गयी और नाग को देखने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो गया. नाग के दर्शन के लिए गांव के लोगों ने पूरा रोड जाम कर दिया, आते जाते राहगीर भी साप को देखने के लिए अपने आप को नही रोक पाए.
निश्चित ही आस्था सर्वोपरि हैं पर हमें इस बात का भीं ध्यान रखना होगा की नाग भी एक जीव हैं, जो खतरा महसूस होने पर अपनी रक्षा के लिए काट भी सकता हैं.
घर वालो ने कहा की ये नाग देवता हैं जो हम लोगों को दर्शन देने आया था जो हमारे घर का देवी देवता है.
गौरतलब है की सावन का महीना भगवान शिव की अराधना का होता है। इस महीने में की जाने वाली पूजा कई प्रकार के ग्रह नक्षत्रों के दोषों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। सावन के महीने में काल सर्प दोष और राहु-केतु दोष को दूर करने वाली भी पूजाएं की जाती या करवाई जाती हैं। शास्त्रों में काल सर्प दोष को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के सर्पों की पूजा का विधान बताया गया है। इन्हीं में से एक विधान है जिंदा सांप के साथ उसकी विधि-विधान से पूजा और फिर उसको जंगल में छोड़ देना।