गेवरा खदान बंद करने की चेतावनी दी किसान सभा ने, नरईबोध और गंगानगर के बेरोजगारों के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों में मांगा रोजगार, 5 सितंबर को गेवरा खदान बंद करेंगे बेरोजगार
कोरबा(कोरबा वाणी)-कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापित बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है। इन विस्थापित परिवारों से एसईसीएल ने रोजगार देने का वादा किया था, जिस पर उसने आज तक अमल नहीं किया है।
किसान सभा ने नरईबोध,गंगानगर एवं गेवरा खदान से प्रभावित गांव के बेरोजगारों को काम नहीं देने का आरोप लगाते हुए 5 सितंबर को गेवरा खदान बंदी की चेतावनी पत्र गेवरा महाप्रबंधक को सौंपा है।
किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,प्रशांत झा,जय कौशिक ने कहा कि प्राथमिकता के साथ एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापितों को उपलब्ध कराया जाए। उनका आरोप है कि विस्थापन प्रभावित गांव नरईबोध,गंगानगर के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। किसान सभा का कहना है कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है, जिसके कारण उन्हें खदान बंदी आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
किसान सभा ने कहा कि गेवरा खदान क्षेत्र में आस पास के प्रभावित गांव के बेरोजगारों को आऊट सोर्सिंग कंपनियों में ड्राइवर, ऑपरेटर, हेल्पर जैसे पदों में कार्य पे नहीं रखा जा रहा है। माईन्स में कार्य की जरूरत होने पर प्रभावित गांव के बेरोजगारों को नजरअंदाज कर अन्य जिलों से भर्ती किया जा रहा है। जिससे प्रभावित गांव के बेरोजगारों में एसईसीएल के प्रति काफी आक्रोश है। प्रभावित गांव के बेरोजगारों को वीटीसी ट्रेनिंग के नाम पर घुमाया जा रहा है नियम के विपरीत वी टी सी कराया जा रहा है।
ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से दामोदर श्याम, दीना नाथ, जय कौशिक,राजू,मन्नू,कन्हैया, दिलहरण, अरविंद, रवि,उजाला के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित गांव के बेरोजगार थे।