जब आप सो रहे थे तो ये कलेक्टर और एसपी जाग रहे थे…
जांजगीर-चांपा (कोरबा वाणी)- रात जा चुकी थी। अंधेरा कायम था। घड़ी में रात के लगभग 3 बजकर 9 मिनट हुए थे। कोई न चाहकर भी नींद के आगोश में था। कोई चाहकर भी सो नहीं पा रहा था। शायद हर किसी को चिंता थी कि बोरवेल में 4 दिन से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा राहुल साहू किसी तरह बाहर आ जाए। हर किसी की जुगत जारी थी। मैं भी सोया नहीं था, उच्च स्तर पर पल-पल का अपडेट देने अपना काम कर रहा था। इसी दरम्यान मैं धुंधली रौशनियों के बीच अपने मोबाइल से कई तस्वीरे लेता रहा।
मुझे याद है कि बोरवेल में फंसे राहुल के लिए यह वहां की आखिरी रात थी, सुरंग बनाने का काम तब भी चल रहा था। जब सभी सोने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे तब कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना और पुलिस अधीक्षक एम आर आहिरे,(दोनों तब सक्ती जिले के ओएसडी थे अब प्रथम कलेक्टर और एसपी है) एसडीएम रेना जमील कई दिन से नहीं सोने के बाद भी सुरंग के बाहर ही मुस्तैदी से न सिर्फ चट्टानों से हताश,निराश और सोने के लिए बैचेन जवानों का उत्साह बढ़ाए जा रहे थे,अपितु कभी सादे पेपर तो कभी किसी गत्ते में अपनी नींद व ख्वाब छोड़कर राहुल तक पहुचने के लिए ड्राइंग डिजाइन कर नई उम्मीदों को सजा रहे थे। कुछ देर में यह 14 जून की अंधेरी रात भोर से सुबह फिर दोपहर और शाम में बदल गई। तब के जांजगीर-चाम्पा कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल अपर कलेक्टर राहुल देव सहित एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना सहित जम्मू काश्मीर में सुरंग बनाने में भागीदारी दे चुके गाँव के सुरीत महिलांगे, गिट्टी खदान के एक्सपर्ट अंजीर रत्नाकर, ड्रिल मशीन को चलाकर चट्टानों को छेद करने वाले भैरव जाट सहित अनेक लोगों के प्रयास से रात लगभग 11.57 बजे राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया।
राहुल रेस्क्यू के दौरान ओएसडी नूपुर राशि पन्ना सिर पर हेलमेट लगाए लगातार इस तरह मैदान में डटी रही जैसे वह कोई आईएएस न होकर किसी खदान की जुझारू कर्मचारी हो। किसी कार्यों में किसी को निर्देश देने की बजाए वह एक कर्मचारी और जिम्मेदारी के साथ बिना सोए अंत तक काम करती दिखी। वहीं ओएसडी पुलिस एम आर आहिरे को रेस्क्यू स्थल पर बहुत कम ही लोगों ने एक आईपीएस समझा होगा। सरल,सहज और ऊंचे पद पर होने के बाद भी उन्होंने किसी को अहसास नहीं होने दिया कि वे आईपीएस है। उनकी सहजता, सरलता ने सुरक्षा में लगे अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को भी कर्तव्य व दायित्व के लिए प्रेरित किया। जांजगीर-चाम्पा जिले से अलग होकर सक्ती अब नया जिला बन गया है। अब इस जिले के वे दोनों पहले कलेक्टर और एसपी है। शायद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को ऐसे ऊर्जावान और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों की पहचान है। आशा है कि नया जिला सक्ती विकास की राह में आगे बढ़ेगा।।