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वनों में लगने वाले आग की रोकथाम के लिए नगर वन रिसदी में आयोजित की गई कार्यशाला

कोरबा(कोरबा वाणी)-कोरबा वन मंडल में वनमंडलाधिकारी प्रियंका पांडेय एवं जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सुरेंद्र जायसवाल की उपस्थिति में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें वनों में लगने वाले आग की रोकथाम के लिए नगर वन रिसदी में कार्यशाला का आयोजित की गयी । कार्यशाला में कोरबा वन मंडल के सभी स्टाफ, वन प्रबंधन समिति के सदस्य , जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कोरबा के वन, वन अग्नि से अत्यधिक प्रभावित होते है दुर्गम क्षेत्र होने के कारण आग में अनियंत्रित हो जाता है। वन विभाग में 15 फरवरी से 15 जून तक अग्नि वर्ष माना जाता है इसी समय सूखे पत्ते, झाड़ियों से जंगल, अग्नि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते है। इस वर्ष वनों को अग्नि से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है । चर्चा के दौरान फील्ड स्टॉफ द्वारा बताया गया कि महुआ संग्रहण और तेंदू पत्ता संग्रहण के लिए सर्वाधिक आग लगने की घटना होती है ।महुआ संग्रहण में लिए ग्रामीणों द्वारा पेड़ो के नीचे आग लगाते है , जो अनियंत्रित हो कर जंगल में फैल जाते है । इसी तरह अच्छे तेंदूपत्ता के लिए मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में वनों में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा वनों में आग लगा दिया जाता है। वनों को अग्नि से बचाने के लिए सभी बीट में कैम्पा द्वारा अग्नि प्रहरी रखने का प्रावधान किया गया है । साथ ही सभी बीट को खनिज न्यास मद से प्राप्त हुए फायर ब्लोअर का वितरण किया गया है जो आग लगने पर आग को प्रभावी रूप से रोकने में मददगार होगा । आग रोकने के लिए एक बीट का प्रभार एक बीट गार्ड के उपर होता है, एक बीट गार्ड के पास बड़ा क्षेत्र होने के कारण बीट गार्ड अकेले नही कर सकता उसके लिए ग्रामीणों , जनप्रतिनिधियों, सरपंच , सचिव सभी के सहयोग की आवश्यकता है । कोरबा पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण एक बार पहाड़ में आग फैलने के बाद उस पर नियंत्रण करना अत्यंत कठिन हो जाता है। कार्यशाला में आग्रह किया गया कि जन मानस का आवश्यक रूप से सहयोग प्राप्त करे।

कार्यशाला में वनमंडलाधिकारी द्वारा शासन की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना और हरियाली प्रसार योजना के बारे में बताया गया । यह भी बताया गया कि जिस तरह तेज़ गर्मी से हमें जलन महसूस होता है उसी तरह पेड़ पौधे और जीव जंतुओं को भी तकलीफ होती है इसलिए इसे अपना मौलिक कर्तव्य समझते हुए आग को रोके। कार्यशाला में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेंद्र जायसवाल ने वन अमला ग्रामीणों को संबोधित और हौसला अफजाई किया । उनके द्वारा बताया गया कि ये इन वनों से जो भी वैन उपज उत्पन्न होता है उन पर वन वासियों के अधिकार होता है। इस लिए वनों पर लगने वाले आग को नियंत्रण करने का सम्पूर्ण दायित्व वन विभाग पर ना हो के उन ग्रामीणों पर भी होता है जो जंगल पर निर्भर करते है। वनों का संरक्षण और वन को आग से लगाना हम सभी की जिम्मेदारी है । वनों से भारी मात्रा में लघुवनोपज प्राप्त होते है जिसका शासन द्वारा क्रय किया जाता है जिससे लोगो की आर्थिक स्थिति में बहुमुखी विकास हुआ है । वन अमले ने शपथ लिया कि इस वर्ष वन को आग से होने वाली क्षति को नगण्य रखने का संकल्प लेते है और कमी लाने का प्रयास करेंगे।