एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन के साथ वार्ता विफल:कल कुसमुंडा मुख्यालय का घेराव करेगी किसान सभा, विस्थापित ग्रामों के बेरोजगारों को एसईसीएल में रोजगार उपलब्ध कराने की मांग
कोरबा(कोरबा वाणी)-कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापितों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित संगठनों द्वारा विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार उपलब्ध कराने की मांग लगातार की जा रही है लेकिन प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर नहीं है। किसान सभा द्वारा प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की गई है।
इस आंदोलन को टालने के लिए किसान सभा नेताओं के साथ एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन ने बैठक कर उनसे आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया इस बैठक में शामिल एसईसीएल की और से एपीएम मलिक और आर.के.बधावन ने कहा कि एसईसीएल द्वारा सभी कार्यों में भू विस्थापितों को रोजगार दिलाने का प्रयास किया जायेगा। इसलिए आंदोलन स्थगित कर दे जिस पर किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल की ओर से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, प्रशांत झा,दामोदर, रेशम, बलराम,नरेन्द्र, रघु,अनिल ने प्रबंधन के आंदोलन स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है अब केवल रोजगार चाहिए और आउट सोर्सिंग कंपनी में कार्य कर रहे ड्राइवर, हेल्पर, सुपरवाइजर एवं अन्य कर्मचारियों ने नाम गांव को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए रोजगार के लिए संघर्ष को और तेज करने की घोषणा की है।
किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू ने कहा कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों ने एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध कराने की मांग की लेकिन प्रबंधन ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। उनका आरोप है कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों द्वारा इन कंपनियों में रोजगार के लिए जाते हैं तो उन्हें घुमाया जाता है और अंत मे कहा जाता है यहाँ कोई रोजगार नहीं है, और उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। किसान सभा का कहना है कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है, जिसके कारण उन्हें मुख्यालय का घेराव और खदान बंदी आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता जय कौशिक ने बताया की ग्रामीण किसान खेती किसानी पर आश्रित थे लेकिन एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद गांव से अधिकांश विस्थापित परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसईसीएल पर आश्रित है आश्रित परिवार के बेरोजगार युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है आस पास कहीं रोजगार की व्यवस्था नहीं है कंपनी के अधीनस्थ कार्यरत आउट सोर्सिंग एवं वैकल्पिक कार्यों में भू विस्थापित युवाओं को प्राथमिकता नहीं दिया जा रहा है।
अपने बयान में किसान सभा नेताओं ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बेरोजगारों को ठेकेदारी में हिस्सा दिए जाने के प्रस्ताव से वे सहमत नहीं है, क्योंकि ठेकेदारी रोजगार का कोई विकल्प नहीं है और न ही इस क्षेत्र के विस्थापित परिवारों की इतनी आर्थिक क्षमता है कि वे ठेकेदारी कर सके। जो किसान परिवार अपनी जमीन से हाथ धो चुके हैं, उन विस्थापित परिवारों की सुनिश्चित आय और बेहतर जीवन के लिए किसान सभा सभी बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग पर संघर्ष कर रही है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS)
(अ. भ. किसान सभा – AIKS से संबद्ध)
जिला समिति कोरबा, छत्तीसगढ़
जवाहर सिंह कंवर
जिलाध्यक्ष
छत्तीसगढ़ किसान सभा