जब तक जनआंदोलन नहीं बनायेंगे, ये कुपोषण, एनीमिया जायेगा नहीं: तारन प्रकाश सिन्हा,कलेक्टर ने जिले से कुपोषण, एनीमिया हटाने के अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के दिए निर्देश,स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश
जांजगीर-चाम्पा(कोरबा वाणी)-कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने आज स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्याें की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह जिला सिंचाई, धान उत्पादन, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य कई मामलों में अन्य जिलों से आगे हैं। इस जिले में कोई दूरस्थ और पहुंचविहीन इलाका भी नहीं है। गांव की संख्या के मुकाबले यहाँ आगंनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानीनों की संख्या भी बहुत ज्यादा है, ऐसे में यहां कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया की शिकायत अधिक क्यों है ? कलेक्टर ने कहा कि शायद हम फील्ड पर जाकर लोगों को जागरूक नहीं कर पाये। उनके लिए चलाए जा रहे अभियान को पूरी मेहनत के साथ सफल नहीं बना पाए। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य को सही ढंग निर्वहन करेंगे, ऐसा संकल्प लें। बच्चें और महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया होगी तो असामयिक बीमारी और मृत्यु की संभावना बनी रहेगी। इसलिए अब इसे एक जन आंदोलन के रूप में मानते हुए काम करना होगा। यह तभी संभव है, जब इस अभियान में अधिकारी-कर्मचारी से लेकर क्षेत्र के पंच, सरपंच, जनपद सदस्य,जिलापंचायत सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और पालकों को इसका हिस्सा बनायेंगे। कलेक्टर ने स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग को संयुक्त रूप से समन्वय बनाकर कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए।
कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर सिन्हा ने कहा कि इस सिंचित और कृषि प्रधान जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों और एनीमिक महिलाओं का होना बहुत ही चिंता का विषय है। उन्होंने ब्लॉक वार कुपोषण और एनीमिया सहित मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक के माध्यम से किए गए उपचार की समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को पूरक पोषण आहार रेडी टू ईट के अलावा, तिल, फल्लीदाना, गुड, चना आदि खाद्य सामग्री भी दी जानी चाहिए। उन्होंने सप्ताह में दो दिवस दिए जाने वाले अण्डे और केले का वितरण भी ईमानदारीपूर्वक करने के निर्देश देते हुए कहा कि कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य कार्ड अनिवार्य रूप से बनाया जाना चाहिए, इसी आधार पर स्वास्थ्य जांच करने के साथ होने वाले सुधार की जानकारी दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाएं घर में सबसे पहले खाना खाये, यह परम्परा विकसित करने की दिशा में पहल जरूरी है। कलेक्टर ने एनआरसी में दिए जाने वाले भोजन की निर्धारित राशि को 160 रूपए करने पर सहमति जताते हुए कहा कि जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं जितनी बेहतर होगी, जिले का विकास उतना ही तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से कुपोषण हटाने के लिए अभियान चलाने के साथ बच्चों और महिलाओं के नियमति स्वास्थ्य जांच के निर्देश देते आए हैं। जिले में इस अभियान को सफल बनाने की भी जिम्मेदारी हमारी है। कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों, पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया कि आंगनबाड़ी का संचालन समय पर हो। कार्यकर्ता, सहायिका गृह भेंट नियमित करें और बच्चों के साथ अपने आसपास की महिलाओं के संबंध में पूरी जानकारी रखते हुए शासन की योजनाओं का लाभ दिलाए। कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पोषण पुनर्वास केंद्र को बेहतर बनाने, अधोसंरचना संबंधी आवश्यकता होने पर प्रस्ताव देने और बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के निर्देश दिए। उन्होंने जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ गरीब वर्गों को मिलना चाहिए। उन्होंने डाक्टरों को समय पर अस्पताल पहुचने तथा मितानिनों के सहयोग से संस्थागत प्रसव को बढ़ाने, बीमारी के रोकथाम करने के संबंध में भी निर्देश दिए।